लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) की जांच में में एक बड़ा खुलासा सामने आया है दिसंबर-2015 में नेपाल में बरामद खाल कार्बेट पार्क में शिकार किए गए बाघ कॉर्बेट नेशनल पार्क के थे डब्ल्यूआईआई कैमरा ट्रैप के माध्यम से इन खालों के मिलान का काम कर रहा था।, मार्च-2016 में भी हरिद्वार में पकडे गए छ बाघों की पडताल में यह पाया गया था कि शिकार किए गए बाघ कार्बेट पार्क के थे। ताजा रिपोर्ट से कार्बेट पार्क में बाघों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिसके कारण से सरकार को भी आँखे खोलनी पड़ी हैं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डब्ल्यूआईआई से कार्बेट पार्क के बाघों का नए सिरे से कैमरा ट्रैप के जरिये अध्ययन करके पुराने रिकार्ड से मिलान करने के लिए कहा है।
कहा जा रहा है कि चीन बाघ की खाल बेचने के लिए बड़ा बाज़ार है। इसलिए शिकारी आराम से रामनगर से बनबसा बार्डर होते हुए नेपाल पहुंच जाते हैं। जहाँ से खाल को चीन भेज दिया जाता है। जहाँ पर शोकीन लोग बाघ की खाल की मुहमांगी रकम देते हैं। बाघ की हड्डियों से योन शक्ति बढाने की दवाई बनाइ जाती है और खाल से जैकेट बनता है चीन में शोकीन लोग इस तरह की जैकेट के लिए मुहमाँगा दाम देते हैं। अब इस रिपोर्ट के बाद कई तरीके से इस मामले की जांच हो सकती है और नेपाल बोर्डर पर भी जादा निगरानी रखी जाएगी क्योंकि नेपाल के रास्ते ही तस्कर कॉर्बेट नेशनल पार्क के बाघों का शिकार कर रहे हैं।
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