नकारात्मक भावना एक निराधार अवधारणा है। इस भावना की जड़ का कारण वह व्यक्ति होता है जो कभी असफल होकर अपने मन में कुछ ऐसी भावनाएं पैदा कर देता है जो सफलता को बहुत दूर समझने लगते हैं कभी कबार तो जीवन में ऐसे भी क्षण आ जाते हैं कि ना चाहते हुए भी व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार आने शुरू हो जाते हैं तब जीवन में ऐसा लगता है, जैसा सब कुछ अन्धकार छा गया है, सब कुछ व्यर्थ लगने लगता है।
जब हम सोचतें हैं कि हर विरूद्ध परिणाम किसी दूसरे की गलती है तो हम नकारात्मक होते हैं। जब हम यह स्वीकार कर लेंगे कि हर चीज हमारे अंदर से ही उत्पन्न होती है एवं सभी अच्छे बुरे परिणामों का जन्म हमारे ही कर्मों से हुआ है तब हमारे अंदर जिम्मेदारी का अहसास जागेगा जो की एक सकारात्मक विचार है।
हमें वस्तुओं के प्रति कृतज्ञ बनना होगा, स्वयं पर हँसना सीखना होगा, दूसरों की सहायता किये बिना उससे भी अपेक्षा करना निराधार होगा , हमें सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों को दोस्त बनाना चाहिए। हमें समाज उपयोगी कार्यों को करने की कोशिश करनी चाहिए उससे हमारे अन्दर कर्म की भावना बढ़ती है।
हमें अच्छे एवं बुरे दोनों परिणामों की जिम्मेवारी लेना सीखना चाहिए अगर अच्छा किया है तो गर्व भी करना चाहिए लेकिन यदि गलत हुआ है, तो उसकी जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। सफल व्यक्ति के जीवन के बारे में जानना उतना ही जरूरी है जितना परिवार के सदस्यों के संपर्क में रहना। अपने दोस्तों को आदर्श समझकर उनसे स्पर्धा ना करें।
हजारों ऐसी किताबें हैं जो सफल व्यक्तियों के जीवन पर चर्चा करती है। आपको इन किताबों को पढ़ना चाहिए आपको सकारात्मक उर्जा का खुद में संचार करने के लिए योग का सहारा लेना चाहिए योग से एकाग्रता और मानसिक स्थिरता और भी बेहतर होती है। कई ऐसे योग हैं, जो आपको मन के अन्दर के नकारत्मक विचारों को बहार फैंकते हैं इसलिए आज के समय में योग का महत्व और भी जादा बढ़ गया हैहमारे शरीर को सीमित मात्रा में जरूरी ऊर्जाएं प्रदान की गई है।
हमारे जीवन के दिन सीमित हैं और उस दिन के हर घंटे के लिए खर्च की जाने वाली ऊर्जा भी सीमित है। हमें इतनी सारी ऊर्जाएं केवल नकारात्मक भावनाओं पर खर्च नहीं करनी चाहिए बल्कि एक नहीं सकारत्मक सोच के साथ उसका इस्तेमाल करना चाहिए आप भी स्वास्थ रहेंगे और ओरों को भी आपसे उर्जा मिलेगी तभी तो संसार में सकात्मक ऊर्जा का संचार होगा। ')}